लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा

चित्र
  भारतीय नौसेना का नौकयन पोत कौंडिन्य, जो भारतीय नौसेना का स्वदेशी रूप से बनाया गया पारंपरिक नौकायन पोत है, 29 दिसम्‍बर 2025 को गुजरात के पोरबंदर से ओमान सल्तनत के मस्कट के लिए अपनी पहली विदेशी यात्रा पर रवाना हुआ। यह ऐतिहासिक अभियान भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को एक जीवित समुद्री यात्रा के माध्यम से पुनर्जीवित करने, समझने और मनाने के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है। इस पोत को औपचारिक रूप से वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने, भारत में ओमान सल्तनत के राजदूत महामहिम इस्सा सालेह अल शिबानी और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और विशिष्ट मेहमानों की गरिमामयी उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण पारंपरिक सिलाई वाली जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्राकृतिक सामग्री और तरीकों का इस्तेमाल किया गया है जो कई सदियों पुराने हैं। ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित, यह पोत भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण, नाविकता और समुद्री नेविगेशन की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करत...

ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस जब त्योहार का अर्थ बदल जाता है

 


ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस आते ही सबसे पहली चीज़ जो चौंकाती है, वह है मौसम। दुनिया के बड़े हिस्से में जहां क्रिसमस ठंड, बर्फ़ और गरम कपड़ों की कल्पना से जुड़ा है, वहीं ऑस्ट्रेलिया में यह त्योहार तपती धूप, नीले आसमान और समुद्र की लहरों के बीच मनाया जाता है। दिसंबर यहां गर्मियों का महीना होता है, इसलिए सांता क्लॉज़ की लाल टोपी और ऊनी कपड़ों की तस्वीरें असल ज़िंदगी से कुछ अलग लगती हैं। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस का मतलब पारंपरिक सर्दियों वाले क्रिसमस से काफी अलग हो जाता है।

यहां क्रिसमस सिर्फ धार्मिक या पारिवारिक पर्व नहीं रह जाता, बल्कि यह छुट्टियों और एंजॉयमेंट का नाम बन जाता है। लोग घरों में बंद होकर केक काटने के बजाय समुद्र तटों की ओर निकल पड़ते हैं। बॉन्डी बीच, मैनली बीच और गोल्ड कोस्ट जैसे स्थानों पर क्रिसमस के दिन भीड़ दिखाई देती है, जहां लोग स्विमिंग करते हैं, बारबेक्यू का मज़ा लेते हैं और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। इस माहौल में क्रिसमस एक गंभीर या भावुक त्योहार कम और एक मस्ती भरा फेस्टिवल ज़्यादा लगता है।

ऑस्ट्रेलिया की मल्टीकल्चरल संस्कृति भी क्रिसमस के मायने बदल देती है। यहां दुनिया भर से आए लोग रहते हैं, जिनकी अपनी-अपनी परंपराएं और मान्यताएं हैं। कई लोगों के लिए क्रिसमस सिर्फ एक पब्लिक हॉलिडे है, जिसे वे घूमने, शॉपिंग करने या आराम करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारतीय, एशियन और मिडिल ईस्ट से आए लोग अक्सर इसे पारिवारिक मेल-जोल के बजाय एक सामान्य छुट्टी की तरह देखते हैं। इस वजह से क्रिसमस का धार्मिक पक्ष कई जगह पीछे छूट जाता है।

ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस का एक और खास पहलू है इसका कमर्शियल रूप। बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल, डिस्काउंट ऑफर्स और सेल्स से भरे रहते हैं। गिफ्ट खरीदना यहां परंपरा जरूर है, लेकिन इसका भावनात्मक जुड़ाव कई बार औपचारिक सा लगने लगता है। लोग जल्दी-जल्दी उपहार खरीदते हैं और छुट्टियों का प्लान बनाकर शहर से बाहर निकल जाते हैं। इस भागदौड़ में त्योहार का असली भाव कई बार खो सा जाता है।

इसके बावजूद, ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस पूरी तरह अर्थहीन नहीं है। यहां भी परिवार एक साथ बैठते हैं, क्रिसमस लंच करते हैं और बच्चों के चेहरों पर खुशी देखी जा सकती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह खुशी ठंडे मौसम, मोमबत्तियों और शांति से नहीं, बल्कि धूप, हंसी और खुलेपन से जुड़ी होती है। ऑस्ट्रेलियाई अंदाज़ में क्रिसमस ज्यादा रिलैक्स्ड, कम औपचारिक और जिंदगी का जश्न मनाने जैसा होता है।

अगर कहा जाए कि ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस के कोई मायने नहीं हैं, तो यह पूरी तरह सही नहीं होगा। दरअसल, यहां इसके मायने अलग हैं। यह परंपराओं से ज्यादा आज़ादी का, रिवाज़ों से ज्यादा आराम का और भावनाओं से ज्यादा अनुभवों का त्योहार बन चुका है। शायद यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया का क्रिसमस दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग दिखता है, लेकिन अपने तरीके से खास भी है।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

क्या भारतीय संगीत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग संगीत की दुनिया को बदल रहा है

कौसानी की चोटी से एक सुबह सूर्योदय ज़रूर देखें ,यह पल सचमुच जादुई है

भारत का अनोखा रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर, जहाँ की दीवारें करती हैं हैरान

क्या आप जानते हैं? फतेहपुर से जुड़ी फ्रांसीसी चित्रकार नादीन ले प्रिंस

लक्षद्वीप पर्यटन राज्य – tourism of india

दुनिया की पहली फोटो की कहानी

जानें भारतीयों के लिए वीजा-मुक्त और आसान यात्रा वाले देश कौनसे हैं ?

क्रिसमस पर गोवा की मस्ती: जहां हर रात बन जाती है जश्न

अलीगढ़ के ताले दुनिया भर में मशहूर क्यों

भारत की सबसे स्वच्छ नदी कौन सी है ? जानिए उमंगोट नदी के बारे में