लेह: ऊँचे पहाड़ों के बीच बसी जन्नत की एक अनोखी कहानी
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मुगल बादशाह शाहजहाँ ने इस बाग को ताजमहल की सुंदरता को और आकर्षक बनाने के उद्देश्य से बनवाया था। कहा जाता है कि यह वही स्थान था जहाँ बैठकर वे ताज को डूबते सूरज के साथ सुनहरी आभा में नहाते देखते थे। बाग का चारबाग शैली में बँटा हुआ सुगठित नक्शा मुगल बागवानी की उत्कृष्ट कलाकारी का उदाहरण है। यहाँ की क्यारियों और पानी की नहरों के अवशेष बताते हैं कि कभी यह स्थान सुगंधित फूलों और बहते पानी से भरपूर रहा होगा।
आज भी जब कोई यहाँ खड़ा होता है तो उसे यमुना की शांत धारा और ताजमहल का शांत, दिव्य प्रतिबिंब मन को एक अनकही शांति प्रदान करता है। दूर से आती पक्षियों की आवाजें, हवा में फैली मिट्टी की सुगंध और ताज के पार फैलता आसमान मेहताब बाग को एक रहस्यमयी सौंदर्य का रूप देते हैं। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण है, क्योंकि इसी समय ताजमहल अपने रंग बदलते हुए एक अद्भुत चित्र की तरह दिखता है।
मेहताब बाग न केवल इतिहास और स्थापत्य का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, शांति और सुकून का भी स्थान है। यहाँ आकर ऐसा लगता है जैसे समय ठहर गया हो और आसपास केवल वही सुंदरता बची हो जिसने ताजमहल को विश्व का अद्भुत आश्चर्य बनाया। यह स्थल आगरा का एक ऐसा मोती है जिसे देखने के बाद ताजमहल की भव्यता और भी अधिक जीवंत और प्रभावशाली लगने लगती है।
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