लेह: ऊँचे पहाड़ों के बीच बसी जन्नत की एक अनोखी कहानी

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लद्दाख की शांत वादियों में बसा लेह एक ऐसा शहर है, जहाँ प्रकृति अपनी अनुपम सुंदरता से हर यात्री का दिल जीत लेती है। बर्फ से ढकी चोटियाँ, नीले आसमान में तैरते बादल, प्राचीन मठों की घंटियाँ और ठंडी हवाओं का पवित्र स्पर्श—यह सब मिलकर लेह को एक अद्वितीय अनुभूति में बदल देते हैं। लेह की खूबसूरती सिर्फ इसके प्राकृतिक नज़ारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ की संस्कृति, लोगों की सरलता और इतिहास से भरे धरोहरों की भी अपनी एक खास पहचान है। ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ का हर मोड़, हर दृश्य और हर कदम एक रोमांच बन जाता है। चाहे वो शांति से भरा शांति स्तूप हो या ऊँचे पहाड़ों की गोद में बसे मठ, हर स्थान मन को एक अनोखी ऊर्जा से भर देता है। लेह की गलियों में घूमते हुए ऐसा लगता है मानो समय थम-सा गया हो। रंग-बिरंगे प्रार्थना-झंडे हवा में लहराते हैं और सड़कों पर चलते लोग मुस्कुराहट के साथ “जुले” कहकर स्वागत करते हैं। यह क्षेत्र न सिर्फ रोमांच प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, बल्कि उन लोगों के लिए भी आदर्श स्थान है जो भीड़-भाड़ से दूर शांति की तलाश में होते हैं। यहाँ की सुबहें सुनहरी धूप के साथ पहाड़ों के बीच च...

भूटान का अनोखा स्वाद: हरी मिर्च से बनता है देश का मुख्य व्यंजन

 थिम्फू। हिमालय की गोद में बसा शांत और खुशहाल देश भूटान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी जीवनशैली के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि यहाँ की रसोई भी उतनी ही अनोखी है। भूटान के घरों में सबसे ज़्यादा बनाया जाने वाला पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन हरी मिर्च से तैयार होता है।

भूटान का राष्ट्रीय व्यंजन: हरी मिर्च से बना अनोखा ‘एमा दत्शी’

भूटान में हरी मिर्च सिर्फ़ एक मसाला नहीं, बल्कि भोजन का मुख्य आधार है। स्थानीय लोग इसे “एमा” कहते हैं और इससे बनता है उनका राष्ट्रीय व्यंजन ‘एमा दत्शी’—जिसे भूटान का “चिली चीज़ स्ट्यू” भी कहा जाता है। इसमें बड़ी-बड़ी हरी मिर्च को सीधे पूरी तरह पकाया जाता है और स्थानीय चीज़, मक्खन और हल्के मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। स्वाद तीखा होता है, लेकिन भूटानी लोग इसे रोज़ाना बड़े शौक से खाते हैं।

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कई यात्रियों को यह जानकर हैरानी होती है कि भूटानी भोजन में मिर्च को सब्ज़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हरी मिर्च, लाल मिर्च, सूखी मिर्च—हर तरह की मिर्च यहाँ की रसोई का हिस्सा है। ठंडे मौसम में यह शरीर को गर्म रखने में मदद करती है, इसलिए सदियों से यह भूटान की खाद्य परंपरा का मुख्य हिस्सा बनी हुई है।

स्थानीय बाज़ारों में आपको रंग-बिरंगी मिर्चों के ढेर

मिल जाएंगे। भूटानी परिवार गर्मियों में मिर्च सुखाकर सर्दियों के लिए जमा करते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपनी खुद की मिर्च उगाते हैं, जिससे इसका स्वाद और ताजगी और भी बढ़ जाती है।

आज भूटान की व्यंजन परंपरा दुनिया भर के फ़ूड प्रेमियों में चर्चा का विषय बनी हुई है। विदेशी यात्री भूटान जाते ही “एमा दत्शी” चखने की इच्छा रखते हैं और कई लोग इसका अनोखा स्वाद अपने देश भी ले जाते हैं।

हरी मिर्च को मुख्य सामग्री बनाकर इतने स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करना भूटान की रसोई की विशिष्टता को दर्शाता है। यह सिर्फ़ भोजन नहीं, बल्कि देश की संस्कृति, जलवायु और परंपरा का जीता-जागता प्रतीक है।

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