लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा
जालंधर का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही गौरवशाली भी है। समय के साथ यह शहर मुग़ल काल, सिख साम्राज्य और फिर आधुनिक भारत के विकास का साक्षी बना। यहाँ की मिट्टी में संघर्ष की खुशबू है और इसी संघर्ष ने जालंधर को एक मज़बूत पहचान दी है।
मेहनत और हुनर जालंधर की सबसे बड़ी पहचान हैं। खेल उद्योग हो या चमड़े का काम, संगीत के वाद्य यंत्र हों या शिक्षा का क्षेत्र, जालंधर ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है। यहाँ के लोग अपने काम पर गर्व करते हैं और यही गर्व शहर को आगे बढ़ाता है। सुबह की हलचल से लेकर रात की रौनक तक, जालंधर हर पल जीवित महसूस होता है।
संस्कृति के रंग जालंधर को और भी खास बनाते हैं। गुरुद्वारों की शांति, मंदिरों की घंटियाँ और त्योहारों की उमंग शहर के माहौल को आत्मीय बना देती है। बैसाखी हो या लोहड़ी, हर त्योहार में जालंधर की सच्ची आत्मा झलकती है। यहाँ का खान-पान भी दिल जीत लेने वाला है, जहाँ हर स्वाद में पंजाबियत बसती है।
मेरी बोलती कलम के लिए जालंधर केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक एहसास है। यह एहसास मेहनत का है, उम्मीद का है और आगे बढ़ने की चाह का है। जालंधर सिखाता है कि जड़ें कितनी भी पुरानी हों, सपने हमेशा नए हो सकते हैं। यही वजह है कि जब भी मेरी कलम चलती है, जालंधर खुद-ब-खुद शब्दों में उतर आता है।
Labels: जालंधर, पंजाब, हिंदी ब्लॉग, भारतीय शहर, संस्कृति
Description: जालंधर शहर पर आधारित एक भावनात्मक और जानकारीपूर्ण हिंदी लेख, जो इतिहास, संस्कृति और आधुनिक जीवन को दर्शाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें