लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा

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  भारतीय नौसेना का नौकयन पोत कौंडिन्य, जो भारतीय नौसेना का स्वदेशी रूप से बनाया गया पारंपरिक नौकायन पोत है, 29 दिसम्‍बर 2025 को गुजरात के पोरबंदर से ओमान सल्तनत के मस्कट के लिए अपनी पहली विदेशी यात्रा पर रवाना हुआ। यह ऐतिहासिक अभियान भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को एक जीवित समुद्री यात्रा के माध्यम से पुनर्जीवित करने, समझने और मनाने के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है। इस पोत को औपचारिक रूप से वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने, भारत में ओमान सल्तनत के राजदूत महामहिम इस्सा सालेह अल शिबानी और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और विशिष्ट मेहमानों की गरिमामयी उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण पारंपरिक सिलाई वाली जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्राकृतिक सामग्री और तरीकों का इस्तेमाल किया गया है जो कई सदियों पुराने हैं। ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित, यह पोत भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण, नाविकता और समुद्री नेविगेशन की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करत...

जब AI करेगा हर काम तब इंसान की भूमिका क्या रह जाएगी

 

आज का युग तकनीक का युग है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI इसमें तेजी से आगे बढ़ रहा है। AI अब सिर्फ एक सहायक तकनीक नहीं रह गया है, बल्कि यह लिखने, सोचने, विश्लेषण करने और निर्णय लेने जैसे कामों में भी इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना बिल्कुल स्वाभाविक है कि अगर AI भविष्य में हर काम करने लगे, तो इंसान की भूमिका क्या रह जाएगी।

AI और इंसान के बीच असली अंतर

AI बहुत तेज़ है और बड़ी मात्रा में जानकारी को कम समय में समझ सकता है, लेकिन उसके पास अनुभव और भावनाएं नहीं होतीं। इंसान अपने जीवन के अनुभवों से सीखता है और परिस्थितियों के अनुसार फैसले लेता है। जहां AI नियमों और डेटा पर काम करता है, वहीं इंसान संवेदनशीलता, समझ और नैतिकता के आधार पर सोचता है। यही कारण है कि AI चाहे कितना भी आगे क्यों न बढ़ जाए, वह इंसान की जगह पूरी तरह नहीं ले सकता।

भविष्य में इंसान की बदलती भूमिका

भविष्य में इंसान का काम खत्म नहीं होगा, बल्कि उसका स्वरूप बदल जाएगा। इंसान अब मशीनों की तरह मेहनत करने के बजाय रचनात्मक और समझदारी वाले कामों पर ध्यान देगा। AI इंसान के लिए एक टूल की तरह काम करेगा, जिससे काम आसान और तेज़ हो जाएगा। इंसान AI को दिशा देगा और यह तय करेगा कि तकनीक का उपयोग सही और गलत में कैसे किया जाए।

क्या AI से डरने की जरूरत है?

AI से डरने के बजाय उसे समझना ज्यादा ज़रूरी है। हर नई तकनीक के आने पर ऐसा ही डर पैदा होता है, लेकिन समय के साथ वही तकनीक इंसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है। जो लोग नई स्किल्स सीखेंगे और खुद को समय के साथ अपडेट करेंगे, उनके लिए AI एक अवसर बनकर सामने आएगा, न कि खतरा।

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