लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा
आज का युग तकनीक का युग है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI इसमें तेजी से आगे बढ़ रहा है। AI अब सिर्फ एक सहायक तकनीक नहीं रह गया है, बल्कि यह लिखने, सोचने, विश्लेषण करने और निर्णय लेने जैसे कामों में भी इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना बिल्कुल स्वाभाविक है कि अगर AI भविष्य में हर काम करने लगे, तो इंसान की भूमिका क्या रह जाएगी।
AI बहुत तेज़ है और बड़ी मात्रा में जानकारी को कम समय में समझ सकता है, लेकिन उसके पास अनुभव और भावनाएं नहीं होतीं। इंसान अपने जीवन के अनुभवों से सीखता है और परिस्थितियों के अनुसार फैसले लेता है। जहां AI नियमों और डेटा पर काम करता है, वहीं इंसान संवेदनशीलता, समझ और नैतिकता के आधार पर सोचता है। यही कारण है कि AI चाहे कितना भी आगे क्यों न बढ़ जाए, वह इंसान की जगह पूरी तरह नहीं ले सकता।
भविष्य में इंसान का काम खत्म नहीं होगा, बल्कि उसका स्वरूप बदल जाएगा। इंसान अब मशीनों की तरह मेहनत करने के बजाय रचनात्मक और समझदारी वाले कामों पर ध्यान देगा। AI इंसान के लिए एक टूल की तरह काम करेगा, जिससे काम आसान और तेज़ हो जाएगा। इंसान AI को दिशा देगा और यह तय करेगा कि तकनीक का उपयोग सही और गलत में कैसे किया जाए।
AI से डरने के बजाय उसे समझना ज्यादा ज़रूरी है। हर नई तकनीक के आने पर ऐसा ही डर पैदा होता है, लेकिन समय के साथ वही तकनीक इंसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है। जो लोग नई स्किल्स सीखेंगे और खुद को समय के साथ अपडेट करेंगे, उनके लिए AI एक अवसर बनकर सामने आएगा, न कि खतरा।
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