लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा
मलाई दूध को धीमी आंच पर उबालने से बनने वाली एक प्राकृतिक परत होती है। यही मलाई आगे चलकर कई प्रसिद्ध मिठाइयों का आधार बनती है। मलाई से बनी मिठाइयाँ मुलायम, हल्की और मुंह में घुल जाने वाली होती हैं, जो हर उम्र के लोगों को पसंद आती हैं।
यह सर्दियों के मौसम में खास तौर पर बनाई जाती है, जब दूध की गुणवत्ता सबसे अच्छी होती है। आगरा की मलाई हल्की मिठास वाली, झागदार और बेहद नरम होती है। इसमें केसर, इलायची और कभी-कभी गुलाब जल का प्रयोग किया जाता है, जो इसके स्वाद को और भी खास बना देता है।
रात भर दूध को खास तरीके से फेंटकर उसमें हवा भरी जाती है, जिससे यह मलाई बादलों जैसी हल्की हो जाती है। इसमें बहुत कम चीनी होती है, जिससे दूध का प्राकृतिक स्वाद बना रहता है। वाराणसी की गलियों में यह मलाई एक सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है।
आगरा और वाराणसी दोनों ही शहरों में मलाई सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि परंपरा है। यह त्योहारों, सर्दियों की सुबह और खास मेहमानों के स्वागत से जुड़ी हुई है। स्थानीय लोगों के लिए यह बचपन की यादों और स्वाद का संगम है।
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