लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा
भारत और मेक्सिको के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापार लगातार बढ़ा है और भारतीय कंपनियां ऑटो पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में मेक्सिको के बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं। ऐसे में अचानक 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने से भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय उत्पादों की कीमतें मेक्सिको में बढ़ेंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ सकता है।
इस फैसले के बाद भारत सरकार की ओर से भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहता है तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ सकता है। वहीं कुछ जानकार इसे वैश्विक व्यापार में बढ़ते संरक्षणवाद की एक और मिसाल मान रहे हैं।
मेक्सिको के इस कदम का असर केवल भारत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि भारत इस चुनौती से कैसे निपटता है और क्या दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए कोई समाधान निकलता है। फिलहाल, इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है और व्यापार जगत की नजर आगे होने वाले घटनाक्रम पर टिकी हुई है।
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