लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा

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  भारतीय नौसेना का नौकयन पोत कौंडिन्य, जो भारतीय नौसेना का स्वदेशी रूप से बनाया गया पारंपरिक नौकायन पोत है, 29 दिसम्‍बर 2025 को गुजरात के पोरबंदर से ओमान सल्तनत के मस्कट के लिए अपनी पहली विदेशी यात्रा पर रवाना हुआ। यह ऐतिहासिक अभियान भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को एक जीवित समुद्री यात्रा के माध्यम से पुनर्जीवित करने, समझने और मनाने के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है। इस पोत को औपचारिक रूप से वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने, भारत में ओमान सल्तनत के राजदूत महामहिम इस्सा सालेह अल शिबानी और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और विशिष्ट मेहमानों की गरिमामयी उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण पारंपरिक सिलाई वाली जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्राकृतिक सामग्री और तरीकों का इस्तेमाल किया गया है जो कई सदियों पुराने हैं। ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित, यह पोत भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण, नाविकता और समुद्री नेविगेशन की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करत...

मेक्सिको ने भारत पर लगाया 50 प्रतिशत टैरिफ, वैश्विक व्यापार में बढ़ी हलचल

 


मेक्सिको ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मच गई है। इस फैसले को दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों के लिए एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। मेक्सिको सरकार का कहना है कि यह कदम घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने और व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

भारत और मेक्सिको के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापार लगातार बढ़ा है और भारतीय कंपनियां ऑटो पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में मेक्सिको के बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं। ऐसे में अचानक 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने से भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय उत्पादों की कीमतें मेक्सिको में बढ़ेंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ सकता है।

इस फैसले के बाद भारत सरकार की ओर से भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहता है तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ सकता है। वहीं कुछ जानकार इसे वैश्विक व्यापार में बढ़ते संरक्षणवाद की एक और मिसाल मान रहे हैं।

मेक्सिको के इस कदम का असर केवल भारत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि भारत इस चुनौती से कैसे निपटता है और क्या दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए कोई समाधान निकलता है। फिलहाल, इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है और व्यापार जगत की नजर आगे होने वाले घटनाक्रम पर टिकी हुई है।

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