भारत की सबसे स्वच्छ नदी कौन सी है ? जानिए उमंगोट नदी के बारे में

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  भारत में नदियाँ हमेशा से जीवन, संस्कृति और परंपरा का केंद्र रही हैं। लेकिन समय के साथ प्रदूषण ने कई नदियों की स्थिति खराब कर दी है। ऐसे दौर में जब अधिकतर नदियाँ गंदगी से जूझ रही हैं, तब मेघालय की उमंगोट नदी स्वच्छता की एक अनोखी मिसाल बनकर सामने आती है। उमंगोट नदी भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में स्थित है। यह नदी डॉकी नामक कस्बे से होकर बहती है, जो भारत और बांग्लादेश की सीमा के पास है। इस नदी की सबसे खास बात इसका अत्यंत साफ और पारदर्शी पानी है, जिसमें नदी की तलहटी तक साफ दिखाई देती है। Read Also : कौसानी की चोटी से एक सुबह सूर्योदय ज़रूर देखें ,यह पल सचमुच जादुई है भारत की सबसे स्वच्छ नदी क्यों कहलाती है उमंगोट उमंगोट नदी को भारत की सबसे स्वच्छ नदी इसलिए माना जाता है क्योंकि यहाँ का पानी लगभग पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त है। नदी में न तो औद्योगिक कचरा गिराया जाता है और न ही प्लास्टिक जैसी गंदगी। स्थानीय लोग नदी को अपनी विरासत मानते हैं और इसकी स्वच्छता बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। स्थानीय लोगों की भूमिका उमंगोट नदी की सफाई के पीछे सबसे बड़ा कारण यहाँ के लोगों की जागरू...

जापानी पर्यटक क्यों बार-बार आते हैं सांची

 
सांची स्टूप पर पर्यटक
मध्य प्रदेश में स्थित सांची, भारत की उन जगहों में से है जो इतिहास, संस्कृति और धर्म का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती हैं। यह स्थल न केवल बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि इसकी स्थापत्य कला और प्राचीन स्तूप इसे विश्वभर के पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं। हर साल सांची हजारों पर्यटकों, विशेषकर जापानी यात्रियों, को अपनी ओर खींचता है।
सांची का इतिहास लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से जुड़ा है, जब मौर्य सम्राट अशोक ने यहाँ बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूपों का निर्माण करवाया। महास्तूप सांची का सबसे प्रसिद्ध स्तूप है और यह उस समय की स्थापत्य कला और धार्मिक दृष्टिकोण का अद्भुत उदाहरण है। स्तूप के चारों ओर बने तोरण और नक्काशियाँ जीवन, कर्म और मोक्ष की कहानियों को दर्शाती हैं।

स्थापत्य कला और शिल्पकला

सांची की स्थापत्य कला में हर पत्थर अपने आप में एक कहानी कहता है। यहाँ के स्तूप, तोरण और मूर्तियाँ न केवल धार्मिक संदेश देती हैं, बल्कि प्राचीन भारतीय शिल्पकला और गणित की समझ का भी प्रमाण हैं। प्रत्येक नक्काशी में जीवन की सरल घटनाओं से लेकर बौद्ध धर्म के गहन सिद्धांतों तक का सुंदर चित्रण देखने को मिलता है।

सांची आज: पर्यटन और अनुभव

आज सांची न केवल इतिहास और धर्म के प्रेमियों के लिए बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षक स्थल बन चुका है। UNESCO ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। यहाँ का शांत वातावरण और प्राचीन स्थापत्य कला आगंतुकों को ध्यान और जिज्ञासा का अनुभव कराते हैं। जापानी पर्यटक विशेष रूप से यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण और प्राचीन बौद्ध कला को देखने आते हैं।

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