लहरों पर लौटा इतिहास : आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली ऐतिहासिक यात्रा

चित्र
  भारतीय नौसेना का नौकयन पोत कौंडिन्य, जो भारतीय नौसेना का स्वदेशी रूप से बनाया गया पारंपरिक नौकायन पोत है, 29 दिसम्‍बर 2025 को गुजरात के पोरबंदर से ओमान सल्तनत के मस्कट के लिए अपनी पहली विदेशी यात्रा पर रवाना हुआ। यह ऐतिहासिक अभियान भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को एक जीवित समुद्री यात्रा के माध्यम से पुनर्जीवित करने, समझने और मनाने के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है। इस पोत को औपचारिक रूप से वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने, भारत में ओमान सल्तनत के राजदूत महामहिम इस्सा सालेह अल शिबानी और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और विशिष्ट मेहमानों की गरिमामयी उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण पारंपरिक सिलाई वाली जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्राकृतिक सामग्री और तरीकों का इस्तेमाल किया गया है जो कई सदियों पुराने हैं। ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित, यह पोत भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण, नाविकता और समुद्री नेविगेशन की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करत...

जब धुंध के पीछे मुस्कुराता है ताजमहल


 ताजमहल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रेम, कला और शांति का प्रतीक माना जाता है। आगरा की धरती पर यमुना नदी के किनारे स्थित यह संगमरमर का अद्भुत स्मारक हर मौसम में अलग-अलग रूप में दिखाई देता है, लेकिन जब सर्दियों के मौसम में ताजमहल कोहरे की चादर में लिपट जाता है, तब उसका सौंदर्य किसी स्वप्नलोक से कम नहीं लगता। सुबह के समय जब हल्का-हल्का कोहरा चारों ओर फैलता है और सूरज की किरणें धीरे-धीरे उसे चीरती हुई बाहर आने की कोशिश करती हैं, तब ताजमहल मानो बादलों के बीच तैरता हुआ दिखाई देता है।

कोहरे में ताजमहल का दृश्य बेहद रहस्यमय और भावनात्मक होता है। दूर से देखने पर पूरा ढांचा साफ नजर नहीं आता, बल्कि पहले उसकी ऊपरी मीनारें और गुंबद धुंध के बीच से उभरते हैं। ऐसा लगता है जैसे कोई सफेद महल आसमान से धरती पर उतर आया हो। संगमरमर पर पड़ने वाली हल्की रोशनी और कोहरे की नमी मिलकर ताजमहल को एक मुलायम, शांत और अलौकिक रूप दे देती है। इस समय ताजमहल का रंग भी सामान्य दिनों से अलग दिखता है, कभी हल्का दूधिया, कभी धूसर और कभी हल्का सुनहरा।

जब पर्यटक सर्दियों की सुबह ताजमहल देखने पहुंचते हैं, तो कई बार उन्हें पूरा स्मारक एक साथ देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ता है। जैसे-जैसे कोहरा धीरे-धीरे छंटता है, ताजमहल परत दर परत सामने आता है। पहले मुख्य गुंबद, फिर मीनारें, उसके बाद संगमरमर की दीवारों पर की गई नक्काशी स्पष्ट होने लगती है। यह दृश्य देखने वालों के लिए किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं होता। ऐसा महसूस होता है मानो ताजमहल खुद को धीरे-धीरे दर्शकों के सामने प्रकट कर रहा हो।

कोहरे में ताजमहल की तस्वीरें भी बहुत खास होती हैं। फोटोग्राफरों के लिए यह समय किसी खजाने से कम नहीं होता। धुंधली पृष्ठभूमि, हल्की रोशनी और सफेद संगमरमर मिलकर तस्वीरों को बेहद आकर्षक बना देते हैं। कई बार ताजमहल का प्रतिबिंब यमुना नदी के पानी में कोहरे के साथ मिलकर ऐसा दृश्य रचता है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि सर्दियों में ताजमहल की तस्वीरें सोशल मीडिया और ब्लॉग्स पर खूब पसंद की जाती हैं।

कोहरे में ताजमहल सिर्फ देखने में ही सुंदर नहीं लगता, बल्कि उस समय वहां का माहौल भी बहुत शांत और सुकून भरा होता है। भीड़ कम होती है, ठंडी हवा चलती है और वातावरण में एक अलग ही ठहराव महसूस होता है। ऐसा लगता है जैसे समय कुछ पल के लिए थम गया हो। शायद यही कारण है कि बहुत से लोग मानते हैं कि कोहरे में ताजमहल का दीदार सबसे भावनात्मक और यादगार अनुभवों में से एक होता है।

ताजमहल को कोहरे में देखना सिर्फ एक पर्यटन अनुभव नहीं, बल्कि एक एहसास है, जिसमें इतिहास, प्रेम और प्रकृति तीनों एक साथ महसूस होते हैं। यह दृश्य हमें यह याद दिलाता है कि ताजमहल सिर्फ पत्थरों से बना एक स्मारक नहीं है, बल्कि भावनाओं और यादों का जीवंत प्रतीक है, जो हर मौसम में अलग कहानी सुनाता है।


Permalink:
t

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

क्या भारतीय संगीत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग संगीत की दुनिया को बदल रहा है

कौसानी की चोटी से एक सुबह सूर्योदय ज़रूर देखें ,यह पल सचमुच जादुई है

भारत का अनोखा रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर, जहाँ की दीवारें करती हैं हैरान

क्या आप जानते हैं? फतेहपुर से जुड़ी फ्रांसीसी चित्रकार नादीन ले प्रिंस

लक्षद्वीप पर्यटन राज्य – tourism of india

दुनिया की पहली फोटो की कहानी

जानें भारतीयों के लिए वीजा-मुक्त और आसान यात्रा वाले देश कौनसे हैं ?

क्रिसमस पर गोवा की मस्ती: जहां हर रात बन जाती है जश्न

अलीगढ़ के ताले दुनिया भर में मशहूर क्यों

भारत की सबसे स्वच्छ नदी कौन सी है ? जानिए उमंगोट नदी के बारे में