लेह: ऊँचे पहाड़ों के बीच बसी जन्नत की एक अनोखी कहानी

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लद्दाख की शांत वादियों में बसा लेह एक ऐसा शहर है, जहाँ प्रकृति अपनी अनुपम सुंदरता से हर यात्री का दिल जीत लेती है। बर्फ से ढकी चोटियाँ, नीले आसमान में तैरते बादल, प्राचीन मठों की घंटियाँ और ठंडी हवाओं का पवित्र स्पर्श—यह सब मिलकर लेह को एक अद्वितीय अनुभूति में बदल देते हैं। लेह की खूबसूरती सिर्फ इसके प्राकृतिक नज़ारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ की संस्कृति, लोगों की सरलता और इतिहास से भरे धरोहरों की भी अपनी एक खास पहचान है। ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ का हर मोड़, हर दृश्य और हर कदम एक रोमांच बन जाता है। चाहे वो शांति से भरा शांति स्तूप हो या ऊँचे पहाड़ों की गोद में बसे मठ, हर स्थान मन को एक अनोखी ऊर्जा से भर देता है। लेह की गलियों में घूमते हुए ऐसा लगता है मानो समय थम-सा गया हो। रंग-बिरंगे प्रार्थना-झंडे हवा में लहराते हैं और सड़कों पर चलते लोग मुस्कुराहट के साथ “जुले” कहकर स्वागत करते हैं। यह क्षेत्र न सिर्फ रोमांच प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, बल्कि उन लोगों के लिए भी आदर्श स्थान है जो भीड़-भाड़ से दूर शांति की तलाश में होते हैं। यहाँ की सुबहें सुनहरी धूप के साथ पहाड़ों के बीच च...

वृंदावन: मैसूर की एक रंगीन शाम

 

कभी-कभी यात्रा सिर्फ रास्तों का सफ़र नहीं होती, वह मन के भीतर उतरकर एक कहानी बन जाती है। मैसूर का वृंदावन ऐसा ही एक स्थान है—जहाँ कदम-कदम पर रंग, रोशनी और संगीत आत्मा को छूते हैं। शाम की हल्की ठंडक जब हवा में घुलती है, तो लगता है मानो समय कुछ देर के लिए रुक गया हो।

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चारों ओर फैली झिलमिल रोशनी, पानी की लहरों पर पड़ते रंग, और मधुर संगीत की धीमी धुनें… हर दृश्य यूँ लगता है जैसे किसी चित्रकार की तूलिका से निकला हो। चलते-चलते कई लोग रुककर उस पल को अपने कैमरे में कैद करते हैं, पर मेरे लिए यह अनुभव सिर्फ तस्वीरों में नहीं, शब्दों के भीतर दर्ज होता गया।

वृंदावन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ हर दृश्य अपने आप में एक अलग कहानी कहता है। कहीं पानी का उछाल धुनों के साथ नाचता दिखता है, तो कहीं रोशनी की लकीरें आसमान की ओर जाती हुई मन को मोह लेती हैं। इन सबके बीच बैठकर मैंने महसूस किया कि शब्द भी कभी-कभी खुद चलकर कलम तक आ जाते हैं।

उस शाम वहाँ बैठकर ऐसा लगा जैसे प्रकृति अपनी भाषा में कुछ कहना चाहती हो, और मेरी कलम उसे सुनकर लिखने को तैयार बैठी हो। रोशनी के रंग, पानी की ठंडी फुहार, और चारों ओर फैली शांति मेरे भीतर एक अनकही कविता गूँजाती रही।

मैसूर का यह अनुभव सिर्फ देखने की चीज नहीं, बल्कि महसूस करने की चीज है—एक ऐसी जगह जहाँ थोड़ी देर बैठकर कोई भी अपने भीतर की आवाज़ सुन सकता है। शायद यही वजह है कि मेरी बोलती कलम ने भी वहीं जाकर अपनी नई कहानी शुरू की।

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