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भूटान का अनोखा स्वाद: हरी मिर्च से बनता है देश का मुख्य व्यंजन

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 थिम्फू। हिमालय की गोद में बसा शांत और खुशहाल देश भूटान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी जीवनशैली के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि यहाँ की रसोई भी उतनी ही अनोखी है। भूटान के घरों में सबसे ज़्यादा बनाया जाने वाला पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन हरी मिर्च से तैयार होता है। भूटान का राष्ट्रीय व्यंजन: हरी मिर्च से बना अनोखा ‘एमा दत्शी’ भूटान में हरी मिर्च सिर्फ़ एक मसाला नहीं, बल्कि भोजन का मुख्य आधार है। स्थानीय लोग इसे “एमा” कहते हैं और इससे बनता है उनका राष्ट्रीय व्यंजन ‘एमा दत्शी’ —जिसे भूटान का “चिली चीज़ स्ट्यू” भी कहा जाता है। इसमें बड़ी-बड़ी हरी मिर्च को सीधे पूरी तरह पकाया जाता है और स्थानीय चीज़, मक्खन और हल्के मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। स्वाद तीखा होता है, लेकिन भूटानी लोग इसे रोज़ाना बड़े शौक से खाते हैं। Read Also : चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है कई यात्रियों को यह जानकर हैरानी होती है कि भूटानी भोजन में मिर्च को सब्ज़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हरी मिर्च, लाल मिर्च, सूखी मिर्च—ह...

बंजारा हिल्स: हैदराबाद की चमक और सुकून का अनोखा संगम

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 बंजारा हिल्स हैदराबाद का वह इलाका है जो अपनी खूबसूरती, शांति और प्रतिष्ठा के लिए पूरे देश में पहचाना जाता है। शहर की तेज़ रफ्तार से थोड़ा हटकर यह इलाका एक अलग ही तरह की भव्यता समेटे हुए है। चौड़ी सड़कों, हरियाली और खूबसूरत इमारतों के बीच चलते हुए ऐसा लगता है जैसे शहर की भीड़-भाड़ यहाँ पहुँचकर थम जाती हो। यही कारण है कि बंजारा हिल्स उन कुछ जगहों में गिना जाता है जहाँ रहना किसी सपने की तरह महसूस होता है। इस इलाके की पहचान सिर्फ उसके शानदार माहौल तक सीमित नहीं है। यहाँ कई क्षेत्र ऐसे हैं जो बड़े-बड़े नामों के ठिकाने के रूप में जाने जाते हैं। फिल्म जगत की मशहूर हस्तियाँ, राजनीति से जुड़ी प्रभावशाली शख्सियतें, क्रिकेट जगत के सितारे और देश के जाने-माने बिज़नेस आइकॉन—सबने इस जगह को अपना आशियाना बनाया हुआ है। उनकी उपस्थिति ने न सिर्फ इस इलाके की प्रतिष्ठा बढ़ाई है बल्कि यहाँ की लाइफस्टाइल को भी एक अलग मुकाम दिया है। रात की रोशनी में जगमगाते घर, शांत गलियाँ और साफ-सुथरा वातावरण यहाँ के जीवन को खास बनाते हैं। बंजारा हिल्स केवल चकाचौंध का प्रतीक नहीं है। यह वह जगह भी है जहाँ पुरानी सांस्कृ...

राजू मोंटेना की उदयपुर में रॉयल डेस्टिनेशन वेडिंग परंपरा, झीलें और जश्न का संगम

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  उदयपुर की सुबह हमेशा ही एक अलग सौम्यता लिए होती है, लेकिन इस बार शहर के हवाओं में कुछ और ही रौनक थी। अमेरिका में बसे एनआरआई RAJU MONTENA  की शादी का जलवा मानो पूरे शहर को जगमगा रहा था। झीलों की नगरी अपने राजसी ठाठ और सांस्कृतिक सौंदर्य के कारण दुनिया भर में शादी के लिए पसंदीदा जगह रही है, और राजू की डेस्टिनेशन वेडिंग ने इस खूबसूरती को मानो नई परिभाषा दे दी। शादी की रस्में सिटी पैलेस के नज़दीक एक हेरिटेज होटल में शुरू हुईं, जहाँ मेहमान पारंपरिक राजस्थानी संगीत की धुनों पर स्वागत पाते दिखे। दूल्हे का बारात में घोड़ी पर बैठकर आना किसी रॉयल प्रोसेशन से कम नहीं था। ढोल–नगाड़ों, तूतियों और मेहमानों के नाचने से हवा तक झूमती प्रतीत हो रही थी। दुल्हन के प्रवेश का दृश्य भी कम मनमोहक नहीं था। दुल्हन की चाल, फूलों की वर्षा, और चारों ओर दीये की हल्की रोशनी—हर पल किसी फ़िल्मी दृश्य की तरह अपने भीतर जादू समेटे था। सात फेरों के समय पंडित के मंत्रोच्चार से वातावरण इतना पवित्र महसूस हो रहा था कि मानो झीलें भी आशीर्वाद दे रही हों। राजू के परिवार और दोस्तों का कहना था कि उन्होंने दुनिया भर म...

चंबल: वाइल्डलाइफ लवर्स के लिए मध्य प्रदेश का छिपा हुआ रत्न

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 मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमाओं के बीच बहने वाली चंबल नदी अपने अनोखे प्राकृतिक वातावरण और दुर्लभ वन्यजीवों के कारण आज भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन चुकी है। कभी डाकुओं की कहानियों के लिए प्रसिद्ध यह इलाका अब प्रकृति प्रेमियों, पक्षी पर्यवेक्षकों और रोमांच यात्रियों के लिए एक आकर्षक जगह बन गया है। यहाँ की चंबल सफारी आपको नदी की वास्तविक सुंदरता, शांत बहाव और उस पारिस्थितिकी तंत्र से रूबरू कराती है जो भारत के अन्य हिस्सों में कम ही देखने को मिलता है। चंबल सफारी मुख्य रूप से नाव के माध्यम से कराई जाती है। नेशनल चंबल सेंक्चुरी के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए, गंगा डॉल्फ़िन और विभिन्न प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक आवास है। जब नाव धीरे-धीरे नीले पानी के बीच से आगे बढ़ती है तो किनारों पर धूप सेंकते घड़ियाल और शांत बैठी चिड़ियों का दृश्य बेहद मनमोहक लगता है। चंबल नदी दुनिया में उन गिने-चुने स्थानों में शामिल है जहाँ घड़ियाल की संख्या अच्छी मात्रा में मिलती है। उनकी लंबी पतली नाक और शांत स्वभाव उन्हें आसानी से पहचाने योग्य बनाता है। इसके अलावा, कई बार सफ...

दुनिया की प्रसिद्ध लक्जरी ट्रेनों के बारे में जानें

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  भारत की राजस्थान की शाही संस्कृति का अनुभव लेने का सबसे शानदार तरीका है Palace on Wheels। यह सिर्फ एक ट्रेन नहीं है, बल्कि एक चलता हुआ महल है, जहाँ हर डिब्बा राजसी अंदाज़ में सजाया गया है और हर स्टेशन पर पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के अन्य देशों में भी ऐसी लक्ज़री ट्रेनों का चलन है? Read Also : भारत में म्यूरल आर्ट का बढ़ता आकर्षण लक्जरी ट्रेन : अनुभव, सफर और रोमांच यूरोप की Venice Simplon Orient Express ट्रेन को ही देख लीजिए। यह ट्रेन भी अपने भव्य डिब्बों और ऐतिहासिक सजावट के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ यात्री पारंपरिक यूरोपीय खाने का अनुभव करते हैं और सफर के दौरान खूबसूरत यूरोपियन शहरों और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेते हैं। जहां Palace on Wheels राजस्थान की शाही संस्कृति और रेगिस्तानी दृश्यों पर केंद्रित है, वहीं Orient-Express यात्रियों को यूरोप की क्लासिक शाही अनुभव और ऐतिहासिक नगरों से रूबरू कराती है। दूसरी ओर, The Rocky Mountaineer कनाडा की प्रसिद्ध ट्रेन है। यह ट्रेन यात्रियों को रॉकी पर्वतों के शानदार दृश्यों के बीच ले जाती है और...

वृंदावन: मैसूर की एक रंगीन शाम

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  कभी-कभी यात्रा सिर्फ रास्तों का सफ़र नहीं होती, वह मन के भीतर उतरकर एक कहानी बन जाती है। मैसूर का वृंदावन ऐसा ही एक स्थान है—जहाँ कदम-कदम पर रंग, रोशनी और संगीत आत्मा को छूते हैं। शाम की हल्की ठंडक जब हवा में घुलती है, तो लगता है मानो समय कुछ देर के लिए रुक गया हो। Read Also: चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है चारों ओर फैली झिलमिल रोशनी, पानी की लहरों पर पड़ते रंग, और मधुर संगीत की धीमी धुनें… हर दृश्य यूँ लगता है जैसे किसी चित्रकार की तूलिका से निकला हो। चलते-चलते कई लोग रुककर उस पल को अपने कैमरे में कैद करते हैं, पर मेरे लिए यह अनुभव सिर्फ तस्वीरों में नहीं, शब्दों के भीतर दर्ज होता गया। वृंदावन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ हर दृश्य अपने आप में एक अलग कहानी कहता है। कहीं पानी का उछाल धुनों के साथ नाचता दिखता है, तो कहीं रोशनी की लकीरें आसमान की ओर जाती हुई मन को मोह लेती हैं। इन सबके बीच बैठकर मैंने महसूस किया कि शब्द भी कभी-कभी खुद चलकर कलम तक आ जाते हैं। उस शाम वहाँ बैठकर ऐसा लगा जैसे प्रकृति अपनी भाषा में कुछ क...

कद्दू के बीज pumpkin seeds : आपकी सेहत का छोटा लेकिन ताकतवर खजाना

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 कद्दू के बीज, जिन्हें हम अक्सर कद्दू निकालते समय फेंक देते हैं, वास्तव में सेहत का एक अनमोल खजाना हैं। ये छोटे-छोटे बीज स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इन बीजों में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम, ज़िंक, एंटीऑक्सीडेंट, हेल्दी फैट्स और प्लांट प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाने में मदद करते हैं। कद्दू के बीजों का नियमित सेवन दिल को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनमें मौजूद हेल्दी फैटी एसिड शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करते हैं। यही कारण है कि इन्हें हार्ट-फ्रेंडली फूड माना जाता है। इसके अलावा, इनमें पाया जाने वाला मैग्नीशियम हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है। ये बीज नींद की गुणवत्ता सुधारने में भी उपयोगी माने जाते हैं क्योंकि इनमें ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड पाया जाता है। यह तत्व तनाव कम करने और दिमाग को शांत रखने में मदद करता है। कद्दू के बीज पाचन तंत्र के लिए भी लाभदायक होते हैं क्योंकि इनमें भरपूर डाइटरी फाइबर मौजूद होता है, जो पेट ...

भारत में म्यूरल आर्ट का बढ़ता आकर्षण

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  भारत एक ऐसा देश है जहाँ कला सिर्फ दीवारों पर नहीं, बल्कि संस्कृति की आत्मा में बसती है। इन्हीं कलाओं में से एक है म्यूरल आर्ट—दीवारों पर बनाई जाने वाली भित्ति चित्रकारी, जो अब सिर्फ ऐतिहासिक स्थलों तक सीमित नहीं रही, बल्कि आधुनिक भारत के कई शहरों की पहचान बन चुकी है। देश के अलग-अलग इलाकों में म्यूरल पेंटिंग अब नए आकर्षण के रूप में उभर रही है। चाहे पुरानी हवेलियाँ हों, मंदिरों की दीवारें हों या फिर मेट्रो स्टेशन और सड़कें—हर जगह रंगों की कहानियाँ नजर आती हैं। भारत के कई शहर आज अपनी अनोखी म्यूरल कला के कारण देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। भारत के प्रमुख शहर जहाँ म्यूरल आर्ट जीवंत होती है दिल्ली की बात करें तो लोधी आर्ट डिस्ट्रिक्ट दुनिया भर के कलाकारों का पसंदीदा कैनवास बन चुका है। यहाँ की सड़कों पर चलते हुए ऐसा महसूस होता है मानो आप किसी ओपन-एयर आर्ट म्यूज़ियम में घूम रहे हों। शहर के मेट्रो स्टेशन भी अब रंगीन म्यूरल से सजकर यात्रियों के अनुभव को और सुखद बनाते हैं। मुंबई भी म्यूरल आर्ट का हॉटस्पॉट है, खासकर बांद्रा और कोलाबा जैसे इलाकों में। यहाँ की दीवारों पर बॉलीवुड,...

बॉल मिठाई : नैनिताल की मीठी पहचान

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  नैनिताल अपनी खूबसूरत झीलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन यहाँ की पारंपरिक बॉल मिठाई भी उतनी ही लोकप्रिय है। कुमाऊँ क्षेत्र की यह अनोखी मिठाई अपने विशिष्ट स्वाद और अनोखी बनावट के कारण हर किसी का मन मोह लेती है। Read Also: चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है बॉल मिठाई दरअसल भुने हुए खोये से बनाई जाती है, जिसे चीनी की हल्की चाशनी में पकाकर छोटे–छोटे सफेद चीनी के दानों से लपेटा जाता है। इसकी बाहरी परत कुरकुरी और अंदर का हिस्सा मुलायम व स्वादिष्ट होता है। यही कारण है कि पहाड़ आने वाले सैलानी इसे जरूर चखते हैं और अपने साथ उपहार के रूप में भी ले जाते हैं। कहा जाता है कि बॉल मिठाई की शुरुआत कुमाऊँ के कत्यूर राजाओं के समय से मानी जाती है। आज भी अल्मोड़ा और नैनिताल की मिठाई दुकानों में यह विशेष स्थान रखती है। पर्व–त्योहारों और खास मौकों पर बॉल मिठाई का उपयोग शुभ माना जाता है। यदि आप नैनिताल आते हैं, तो स्थानीय बाजार से ताज़ी बॉल मिठाई जरूर चखें। इसका स्वाद आपको कुमाऊँ की सांस्कृतिक मिठास से भर देगा।

रेगिस्तान से बादलों तक: बुर्ज ख़लीफ़ा का जादू

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  दुबई की चमकती रेत के बीच आसमान को छूता एक चमत्कार खड़ा है—बुर्ज ख़लीफ़ा। यह सिर्फ़ एक इमारत नहीं बल्कि इंसानी कल्पना, मेहनत और आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है। जब इसकी निर्माण प्रक्रिया शुरू हुई, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह इमारत धरती पर सबसे ऊँची पहचान बन जाएगी। इसकी ऊँचाई जैसे-जैसे बढ़ती गई, दुनिया की नज़रों में दुबई का नाम भी उतना ही ऊपर उठता गया। बुर्ज ख़लीफ़ा की चमचमाती काँच की दीवारें सूरज की पहली किरण के साथ ऐसे जगमगाती हैं जैसे सुनहरी चादर ओढ़ ली हो। रात होते ही यह अपनी रोशनियों से ऐसा दृश्य रचता है जिसे देखना किसी सपने जैसा लगता है। इसकी लिफ्ट हवा की रफ़्तार से ऊपर जाती है और कुछ ही पलों में दर्शक बादलों जैसी ऊँचाई पर पहुँच जाते हैं। ऊपर से दिखाई देने वाला दुबई का नज़ारा ऐसा लगता है मानो किसी कलाकार ने रेत पर चाँदी की लकीरें खींच दी हों। अंदर बने रेस्तराँ, होटल, कला-दीर्घाएँ और डिज़ाइन की बारीकियाँ हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। यहाँ आने वाले लोग सिर्फ़ एक इमारत देखने नहीं आते, बल्कि इंसानी सपनों को साकार होते हुए महसूस करने आते हैं। बुर्ज ख़लीफ़ा आज दुन...

कोकण रेलवे की प्राकृतिक सुंदरता : एक अविस्मरणीय रेल यात्रा

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 कोकण रेलवे भारत के पश्चिमी तट पर बसी उस धरती से होकर गुजरती है जिसे प्रकृति ने अपने सौंदर्य से अनमोल बना दिया है। जब ट्रेन इस मार्ग पर आगे बढ़ती है, तो खिड़कियों के बाहर दिखाई देने वाले दृश्य किसी चित्रकार की पेंटिंग जैसे लगते हैं। घने जंगलों, ऊँचे-नीचे पहाड़ों, गहरी घाटियों और दूर तक फैले शांत वातावरण के बीच कोकण की यह यात्रा हर यात्री को भीतर तक छू जाती है। बरसात के मौसम में तो इस मार्ग की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है। पहाड़ों पर उतरती धुंध, बादलों के बीच छिपते–उभरते सूर्य की किरणें, और रास्ते भर मिलने वाले अनगिनत झरनों की कल-कल ध्वनि माहौल को जादुई बना देती है। रेलway लाइन कभी ऊँचे पुलों से गुजरती है जहाँ नीचे बहती नदियाँ दिखाई देती हैं, तो कभी अंधेरी सुरंगों में प्रवेश करते ही एक रोमांचक एहसास जगाती है। पूरे मार्ग पर फैली हरियाली और प्राकृतिक परिवेश यात्रा को इतना शांत और सुकूनभरा बना देता है कि समय कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता। कोकण रेलवे को इंजीनियरिंग का चमत्कार भी कहा जाता है क्योंकि इसे कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में बनाया गया है, फिर भी यह मार्ग जितना मजबूत है, उतना...

International Trade Fair, Delhi 2025 – from 14 Nov. to 15 days

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  दिल्ली में आयोजित होने वाला International Trade Fair 2025 एक ऐसा विशाल मंच है जहाँ व्यापार, तकनीक, संस्कृति और रचनात्मकता एक साथ जीवंत रूप से उपस्थित दिखाई देते हैं। हर वर्ष की तरह यह भव्य आयोजन इस बार भी देश और दुनिया की असंख्य कंपनियों, उद्योगों, स्टार्टअप्स तथा कारीगरों के लिए अपने उत्पाद, सेवाएँ और कौशल दुनिया के सामने पेश करने का एक अनोखा अवसर लेकर आ रहा है। प्रगति मैदान का विशाल परिसर जब अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शकों और देश के विभिन्न राज्यों की कलात्मक झलकियों से भर जाता है, तो यह सिर्फ एक व्यापार मेला नहीं रहता, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव बन जाता है। 2025 के मेले की खास बात यह है कि इसमें तकनीकी नवाचारों पर विशेष फोकस किया गया है। स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, एआई आधारित सॉल्यूशंस और डिजिटल कम्युनिकेशन सेक्टर इस बार की थीम को और भी प्रभावशाली बनाते हैं। आगंतुकों को न सिर्फ नए उत्पाद देखने का, बल्कि लाइव डेमो और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से भविष्य की तकनीक को करीब से समझने का भी मौका मिलता है। इस मेले का एक आकर्षण ग्रामीण भारत और पारं...

मेहताब बाग: ताजमहल की रोशनी में नहाया एक मुगल स्वप्न

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  आगरा के ऐतिहासिक सौंदर्य को एक नई दृष्टि से देखने के लिए जब यमुना के शांत किनारों की ओर कदम बढ़ते हैं, तो सामने उभरकर आता है मेहताब बाग—एक ऐसी जगह जहाँ प्रकृति, इतिहास और प्रेम का संगम अद्भुत रूप से दिखाई देता है। ताजमहल की विपरीत दिशा में स्थित यह मुगल बाग ऐसा प्रतीत होता है मानो इसे विशेष रूप से इस अद्भुत संगमरमर की इमारत को निहारने के लिए ही बनाया गया हो। हल्की हवा में हिलते पेड़, दूर से चमकता ताज और बाग के बीचोंबीच फैला हरापन मिलकर आगरा की शामों को और भी मनमोहक बना देते हैं। Read Also: भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण मुगल बादशाह शाहजहाँ ने इस बाग को ताजमहल की सुंदरता को और आकर्षक बनाने के उद्देश्य से बनवाया था। कहा जाता है कि यह वही स्थान था जहाँ बैठकर वे ताज को डूबते सूरज के साथ सुनहरी आभा में नहाते देखते थे। बाग का चारबाग शैली में बँटा हुआ सुगठित नक्शा मुगल बागवानी की उत्कृष्ट कलाकारी का उदाहरण है। यहाँ की क्यारियों और पानी की नहरों के अवशेष बताते हैं कि कभी यह स्थान सुगंधित फूलों और बहते पानी से भरपूर रहा होगा। आज भी जब कोई यहाँ खड़ा होता है...

रीवा का सफ़ेद बाघ: असली कहानी और मोहन की विरासत

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भारत के मध्य प्रदेश राज्य का रीवा शहर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है, बल्कि यह सफ़ेद बाघों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। सफ़ेद बाघों की यह दुर्लभ प्रजाति पहली बार 1951 में रीवा के जंगलों में देखी गई थी। इस कहानी के मुख्य नायक हैं मोहन, दुनिया के पहले कैद किए गए सफ़ेद बाघ। Read Also: नामीबिया: भारत के यात्रियों के लिए अफ्रीका का अनछुआ हीरा  मोहन का जीवन और विरासत 27 मई 1951 को महाराजा मार्तंड सिंह ने रीवा के जंगलों में एक सफ़ेद बाघ को पकड़ा। इस बाघ का नाम रखा गया मोहन। मोहन की सबसे बड़ी खासियत उसका शुद्ध सफ़ेद रंग और नीली आंखें थीं। यह रंग सामान्य बाघों से पूरी तरह अलग था। मोहन को गोविंदगढ़ महल में रखा गया और वहां से इसकी कई संताने हुईं। यही संताने आगे चलकर सफ़ेद बाघों की नस्ल बन गई। मोहन के कारण आज लगभग सभी सफ़ेद बाघों की वंशावली इसी से जुड़ी है। इसलिए मोहन को "दुनिया का पिता सफ़ेद बाघ" कहा जाता है।मोहन की संतानों ने सफ़ेद बाघों को कैद में संरक्षित करने में भी मदद की, क्योंकि जंगली जंगल में उनका अस्तित्व मुश्किल था। मोहन की विरासत आज भी रीवा और ...

नामीबिया: भारत के यात्रियों के लिए अफ्रीका का अनछुआ हीरा

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  नामीबिया अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक ऐसा देश है जहाँ प्रकृति अपने सबसे अनोखे रूप में दिखाई देती है। भारतीय यात्रा प्रेमियों के लिए यह अभी भी एक कम जाना हुआ गंतव्य है, लेकिन यहाँ का विशाल रेगिस्तान, रहस्यमयी तट, अविश्वसनीय वन्यजीवन और शांत वातावरण इसे “अगला बड़ा ट्रैवल डेस्टिनेशन” बना सकता है। नामीबिया उन लोगों के लिए परफेक्ट है जो भीड़ से दूर प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच दोनों का अनुभव करना चाहते हैं। Read Also: जारवा: अंडमान के रहस्यमयी आदिवासी जो आज भी मौजूद हैं नामीबिया का अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य नामीबिया का नाम लेते ही सबसे पहले दुनिया के सबसे पुराने रेगिस्तान-नामीब रेगिस्तान की छवि सामने आती है। इसका सॉससव्लेई क्षेत्र लाल रंग की ऊँची रेत की टीलों के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ सूर्योदय के समय रेत सोने की तरह चमकती है। Dune 45 और Big Daddy जैसे टीले फोटोग्राफ़रों और साहसिक यात्रियों के लिए किसी सपने से कम नहीं। इसी तरह स्केलेटन कोस्ट का धुंध से ढका रहस्यमय तटीय क्षेत्र, टूटे जहाज़ों के अवशेष और समुद्र की लगातार गूंज अविस्मरणीय अनुभव देते हैं। नामीबिया की भौग...

चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है

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  जयपुर की शाम जब सुनहरे रंगों में ढलने लगती है, तब शहर के शोर से दूर एक ऐसी जगह आपका इंतज़ार कर रही होती है जहाँ राजस्थान अपनी पूरी परंपरा, रंग और मिठास के साथ ज़िंदा दिखाई देता है। यह जगह है चौखी धानी—एक ऐसा गाँव-थीम रेस्टोरेंट जो सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है। Read Also: भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण चौखी धानी के द्वार पर कदम रखते ही मिट्टी की सौंधी खुशबू और लोक संगीत की मधुर धुनें आपका स्वागत करती हैं। चारों ओर मिट्टी की कच्ची दीवारें, रंग-बिरंगे चित्र, लालटेन की रोशनी और देहाती माहौल मिलकर दिल में एक अनोखी गर्माहट भर देते हैं। ऐसा लगता है मानो शहर की तेज़ रफ़्तार से निकलकर आप किसी सुदूर गाँव की शांति में पहुँच गए हों। अंदर थोड़ा और आगे बढ़ते ही लोक कलाकारों की टोलियाँ नजर आती हैं। कोई घूमर की लय पर थिरक रहा है, कोई कालबेलिया की मोहक मुद्राओं में समाया हुआ है। कभी अचानक ही कोई कठपुतली वाला अपनी लकड़ी की गुड़ियों को जीवंत करता दिखाई देता है, तो कहीं बाजे की धुनें आपके

भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण

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 भीमबेटका की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका भारत की सबसे महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक धरोहरों में से एक है। विंध्य पर्वतमाला की चट्टानों के बीच बसे ये प्राकृतिक रॉक शेल्टर्स हजारों वर्षों की मानव यात्रा का सजीव साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। वर्ष 2003 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त भीमबेटका न केवल भारत बल्कि दुनिया के सबसे मूल्यवान पुरातात्विक स्थलों में शामिल है। यहाँ की चट्टानों पर बने शैलचित्र मानव सभ्यता, जीवनशैली, शिकार, नृत्य, सामाजिक गतिविधियों और प्रकृति के प्रति उनके जुड़ाव को अत्यंत जीवंत रूप में दर्शाते हैं। लाल, सफेद, पीले और हरे रंगों में बने ये चित्र लगभग दस हजार से तीस हजार वर्ष पुराने माने जाते हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि कला का इतिहास मनुष्य के इतिहास जितना ही प्राचीन है। Read Also: प्रतापगढ़ विलेज थीम रिज़ॉर्ट Haryana — शहर के शोर से दूर देहात की सुकून भरी झलक  प्राकृतिक सौंदर्य और शैलचित्रों की विशेषताएँ भीमबेटका की गुफाएँ केवल चित्रों का संग्रह नहीं हैं, बल्कि यह वह स्थान ह...

“आस्था और इतिहास की झलक: आगरा का दयालबाग मंदिर”

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  आगरा का दयालबाग मंदिर केवल पत्थरों से बनी धार्मिक इमारत नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक धरोहर है, जो प्रेम, सेवा और मानवीय एकता के आदर्शों को अपने भीतर समेटे हुए है। सफेद संगमरमर से निर्मित यह विशाल मंदिर दूर से ही अपनी अद्भुत चमक और कलात्मक नक्काशी से मन को मोह लेता है। इसके शिखरों पर पड़ती सूरज की किरणें जैसे किसी पवित्र ऊर्जा का आभास कराती हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही शांत वातावरण, हरे-भरे बाग और निर्मल हवा एक अनोखी ताजगी का एहसास कराते हैं। यहां का वातावरण श्रद्धालुओं और आगंतुकों को एक क्षण में ही मानसिक शांति प्रदान करता है। दयालबाग की यह विशेषता है कि यहाँ आध्यात्मिकता सिर्फ अनुष्ठानों तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता, सेवा और प्रेम के रूप में जीवन में उतरती है। दयालबाग मंदिर अपनी अनूठी स्थापत्य शैली के लिए भी जाना जाता है। संगमरमर पर की गई जटिल नक्काशी और सूक्ष्म कलाकृतियाँ इसे बेहद खास बनाती हैं। मंदिर निर्माण में दशकों लगे और अभी भी इसका कार्य निरंतर सुंदरता के साथ आगे बढ़ता रहता है—यही इस स्थल की जीवंत परंपरा है। यह स्थान आगरा की ऐतिहासिक पहचान में एक अलग ही महत्व ...

लाहौल-स्पीति: बर्फ़ीली वादियों का अनकहा सौंदर्य

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हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा लाहौल-स्पीति एक ऐसा इलाका है जहाँ हर मोड़ पर प्रकृति का नया रंग दिखता है। ऊँचे-ऊँचे बर्फ़ से ढके पहाड़, नीले आसमान के नीचे चमकती नदियाँ, और प्राचीन मठों की घंटियाँ—ये सब मिलकर उस शांति का एहसास कराते हैं जो शब्दों से परे है। यहाँ की हवा में एक अलग ताज़गी है, जैसे हर सांस में हिमालय की आत्मा बसती हो। लाहौल-स्पीति की धरती पर कदम रखते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी और दुनिया में आ गए हों। पत्थर के बने छोटे-छोटे गाँव, लकड़ी और मिट्टी से बने घर, और दूर-दूर तक फैली निस्तब्ध वादियाँ—इन सबमें जीवन की एक सरल लय बहती है। यहाँ का हर दिन सूर्योदय से शुरू होता है जब बर्फ़ से ढकी चोटियों पर सुनहरी किरणें पड़ती हैं, और शाम होते-होते पूरा आसमान लालिमा से रंग जाता है। यह इलाका सिर्फ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म के मठ, जैसे की-मठ या ताबो मठ, इस क्षेत्र की आत्मा हैं। यहाँ की प्रार्थनाओं की ध्वनि और घूमते हुए प्रार्थना-चक्र इस घाटी में एक अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण रचते हैं। स्थानीय लोग सादगी और अपनापन से भरे हैं, औ...

माउंट आबू: अरावली की गोद में सजी प्राकृतिक स्वर्ग नगरी

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  राजस्थान का नाम आते ही मन में रेत के टीलों, गर्म हवाओं और मरुस्थल की तस्वीर उभरती है, लेकिन इन्हीं सब के बीच एक ऐसा स्थान है जो इस छवि को बदल देता है। यह है माउंट आबू, राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन। अरावली पर्वतमाला की ऊँचाइयों पर बसा यह छोटा-सा शहर प्रकृति की गोद में छिपा एक नगीना है, जहाँ हर ओर हरियाली, ठंडी हवा और झीलों की शांति है। माउंट आबू का इतिहास भी उतना ही दिलचस्प है जितना इसका मौसम। कहा जाता है कि इसका नाम “अर्बुदा पर्वत” से पड़ा, जहाँ प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों का निवास था। यहाँ का वातावरण आध्यात्मिकता से भरा हुआ है, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का संगम देखने को मिलता है। इस शहर की पहचान सबसे पहले नक्की झील से होती है। झील के चारों ओर बसे बाजार और सैर के लिए उपलब्ध नावें इसे पर्यटकों के लिए खास बनाती हैं। शाम के समय जब सूर्य झील के पानी में अपना सुनहरा रंग घोल देता है, तो वह दृश्य मन मोह लेता है। इसके अलावा दिलवाड़ा जैन मंदिर अपने संगमरमर की बारीक नक्काशी के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। मंदिरों की सुंदरता और शांति हर आगंतुक को आत्मिक सुकून देती है। माउंट आब...

प्रतापगढ़ विलेज थीम रिज़ॉर्ट Haryana — शहर के शोर से दूर देहात की सुकून भरी झलक

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दिल्ली और गुरुग्राम से कुछ ही घंटों की दूरी पर बसा यह रिज़ॉर्ट परिवार, दोस्तों और बच्चों के लिए एक परफेक्ट वीकेंड डेस्टिनेशन है। यहाँ पहुँचते ही मिट्टी के घर, चरखी, बैलगाड़ी, ऊँट की सवारी और पारंपरिक हरियाणवी पोशाकों में सजे लोग आपका स्वागत करते हैं। Read Also: जोहरन ममदानी: टैक्सी ड्राइवर के बेटे से न्यूयॉर्क सिटी के मेयर तक रिज़ॉर्ट के भीतर हरियाणवी, पंजाबी और राजस्थानी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। गाँव की चौपाल जैसी जगहों पर लोकनृत्य, रस्साकशी, पिट्ठू, कबड्डी और अन्य देसी खेलों का मज़ा लिया जा सकता है। बच्चे मिट्टी के खिलौने बनाना, बायोगैस प्लांट देखना या बागवानी करना सीखते हैं — जो शहरी जीवन से एक ताज़गी भरा बदलाव लाता है। यहाँ का देसी खाना इसकी सबसे बड़ी पहचान है — सरसों का साग, मक्के की रोटी, दही, लस्सी, गुड़ और ताज़े देसी घी की महक हर किसी को गाँव के स्वाद

जारवा: अंडमान के रहस्यमयी आदिवासी जो आज भी मौजूद हैं

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  भारत के दक्षिण-पूर्व में स्थित अंडमान और निकोबार द्वीप समूह अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विविधता के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। हिंद महासागर में फैले ये द्वीप सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं हैं, बल्कि भारतीय इतिहास और आदिवासी संस्कृति का जीवंत उदाहरण हैं। Read Also: डिजिटल दुनिया की मार : आँखें थकीं, कान पके  अंडमान का ऐतिहासिक महत्व अंडमान का इतिहास अत्यंत रोचक और कई पहलुओं से समृद्ध है। प्राचीन काल में यह द्वीप समुद्री मार्गों के संपर्क में था और व्यापारिक तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र माना जाता था। ब्रिटिश काल के दौरान अंडमान और विशेषकर पोर्ट ब्लेयर का क्षेत्र सेलुलर जेल के लिए प्रसिद्ध हुआ। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन द्वारा राजनीतिक बंदियों के लिए बनाया गया था। इस जेल में कई वीर स्वतंत्रता सेनानी बंद हुए, और यहां की यातनाओं और संघर्षों की कहानियाँ आज भी प्रेरणा देती हैं। सेलुलर जेल का स्थापत्य अत्याधुनिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसकी आठ जेल विंग्स और केंद्रीय टावर ब्रिटिश वास्तुकला का बे...

डिजिटल दुनिया की मार : आँखें थकीं, कान पके

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 अब तो आँखें और कान भी छुट्टी पर हैं आज के आधुनिक युग में इंसान तो जाग रहा है, पर उसकी आँखें और कान लगता है छुट्टी पर चले गए हैं।कभी जो आँखें समझने के लिए खुलती थीं, अब वो सिर्फ़ मोबाइल स्क्रीन देखने के लिए खुलती हैं।और जो कान “सुनने” के लिए बने थे, वो अब बस ब्लूटूथ ईयरफ़ोन में गाने भरते रहते हैं। Read Also: जोहरन ममदानी: टैक्सी ड्राइवर के बेटे से न्यूयॉर्क सिटी के मेयर तक आँखें अब क्या देखती हैं? पहले आँखें प्रकृति की हरियाली, लोगों के चेहरे का भाव और आसमान में उड़ते पंछी देखती थीं।अब तो आँखें दिनभर बस स्क्रीन टाइम रिपोर्ट देखती हैं  “आपका औसत उपयोग 8 घंटे 43 मिनट।”कभी-कभी तो लगता है आँखें बोल दें “भाई, ज़रा हमें भी चार्जर लगा दो” और कानों की हालत तो और भी मज़ेदार है पहले कान पड़ोसी की गपशप, दादी की कहानियाँ और माँ की डाँट सुनते थे।अब कान बस

जिनेवा और इंटरलाकेन में देखने को मिलता है बॉलीवुड का जादू

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  बॉलीवुड फिल्मों की दुनिया में रोमांस, ड्रामा और रोमांच कभी खत्म नहीं होता। और इस अनुभव को और भी जादुई बनाने के लिए, कई फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों की शूटिंग स्विट्ज़रलैंड जैसे खूबसूरत देशों में करते हैं। अगर आप कभी इन फिल्मों को देखते हैं और सोचते हैं कि ये सीन इतने खूबसूरत क्यों लगते हैं, तो इसका जवाब स्विट्ज़रलैंड के अद्भुत परिदृश्य में छिपा है।` Read Also: पूर्वी यूरोपीय देशों में भारतीय आईटी पेशेवरों की मांग: करियर के नए रास्ते स्विट्ज़रलैंड अपने बर्फ़ से ढके पहाड़ों, नीली झीलों और हरियाली से भरे मैदानों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि बॉलीवुड ने इसे अपनी फिल्मों का पसंदीदा लोकेशन बना लिया है। जैसे ही कैमरा इन हिल्स और झीलों की ओर जाता है, दर्शक खुद को मानो किसी सपनों की दुनिया में महसूस करने लगते हैं। कई लोकप्रिय फिल्में जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, कुछ कुछ होता है, यादें, और जब हैरी मेट सेजल स्विट्ज़रलैंड में शूट की गईं। इन फिल्मों के रोमांटिक सीन, गाने और खूबसूरत लोकेशन्स दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। स्विट्ज़रलैंड के प्राकृतिक दृश्य इतने मनमोहक...

पूर्वी यूरोपीय देशों में भारतीय आईटी पेशेवरों की मांग: करियर के नए रास्ते

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  भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए विदेश में करियर बनाना अब कोई नई बात नहीं है। अमेरिका और पश्चिमी यूरोप की तरह, अब पूर्वी यूरोप भी भारतीय इंजीनियरों के लिए आकर्षक गंतव्य बनता जा रहा है। यह क्षेत्र तेजी से उभरता हुआ आईटी हब है, जहाँ सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी क्षमताओं वाले पेशेवरों की काफी मांग है। Read Also: जोहरन ममदानी: टैक्सी ड्राइवर के बेटे से न्यूयॉर्क सिटी के मेयर तक कई भारतीय इंजीनियर अब पोलैंड, चेक गणराज्य, हंगरी और रोमानिया में अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर शानदार करियर बना रहे हैं। इन देशों में न केवल सैलरी पैकेज आकर्षक हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता और काम का वातावरण भी उत्तम है। पूर्वी यूरोप में अवसर और जीवन पोलैंड में, वारसॉ और क्राको जैसे शहरों में कई अंतरराष्ट्रीय आईटी कंपनियों की शाखाएँ हैं, जहाँ भारतीय पेशेवर अपने कौशल के आधार पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, चेक गणराज्य के प्राग और ब्रनो शहरों में टेक्निकल स्किल्स की उच्च मांग है, जिससे नए इंजीनियरों के लिए करियर की संभावनाएँ और भी बढ़ ज...

जब बीटल्स ऋषिकेश पहुँचे: एक संगीत और आध्यात्मिक यात्रा

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   सन 1968 में, जब पूरी दुनिया ब्रिटिश बैंड The Beatles के संगीत की दीवानी थी, उसी समय चारों कलाकार  जॉन लेनन, पॉल मैककार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार, अपने जीवन की सबसे अनोखी यात्रा पर निकले, यह यात्रा थी भारत के ऋषिकेश की, जहाँ वे आध्यात्मिक शांति और ध्यान (Meditation) की तलाश में पहुँचे थे। यह अनुभव न केवल उनके जीवन को बदलने वाला साबित हुआ, बल्कि पश्चिमी दुनिया में भारतीय संस्कृति और योग को प्रसिद्ध करने का कारण भी बना। Read Also: जोहरन ममदानी: टैक्सी ड्राइवर के बेटे से न्यूयॉर्क सिटी के मेयर तक  ध्यान और आत्मिक खोज की शुरुआत 1960 के दशक में बीटल्स केवल संगीत के प्रतीक नहीं थे, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन की आवाज़ थे। लगातार कॉन्सर्ट, रिकॉर्डिंग और प्रसिद्धि के दबाव में, बैंड के सदस्य मानसिक रूप से थक चुके थे। उसी समय उन्हें महर्षि महेश योगी और उनके “ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन” के सिद्धांतों के बारे में पता चला। जॉर्ज हैरिसन और उनकी पत्नी पैटी बॉयड ने सबसे पहले इस विचार को अपनाया और बाकी सदस्यों को भी इसे आज़माने के लिए प्रेरित किया। महर्षि के आमंत...

जोहरन ममदानी: टैक्सी ड्राइवर के बेटे से न्यूयॉर्क सिटी के मेयर तक

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नवंबर 2025 की सुबह न्यूयॉर्क ने नया इतिहास लिखा। 34 वर्षीय ज़ोहरन ममदानी को शहर का पहला मुस्लिम और दक्षिण एशियाई मूल का मेयर चुना गया। यह सफलता कोई अचानक नहीं आई — यह मेहनत, प्रतिबद्धता और जमीनी स्तर पर काम करने की लंबी यात्रा का परिणाम थी। जन्म और शुरुआती जीवन ज़ोहरन का जन्म 1991 में उगांडा के कम्पाला में हुआ। उनके पिता मह्मूद ममदानी एक विद्वान थे और माँ मीरा नायर एक प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक। परिवार जल्द ही न्यूयॉर्क आ गया, जहाँ ज़ोहरन ने अपनी शिक्षा और सामाजिक जागरूकता की नींव रखी। शिक्षा और सामाजिक सोच उन्होंने Bowdoin College से 2014 में Africana Studies में डिग्री प्राप्त की। कॉलेज में उन्होंने सामाजिक न्याय, असमानता और समुदाय की समस्याओं को समझना शुरू किया, जिसने उनकी राजनीतिक दिशा को आकार दिया। राजनीति में पहला कदम कॉलेज के बाद ज़ोहरन ने हाउसिंग एक्टिविस्ट के तौर पर काम किया। 2020 में उन्होंने Astoria, Queens से न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली का चुनाव लड़ा और विजयी हुए। उनकी राजनीति का मूल मंत्र था: “सरकार अमीरों के लिए नहीं, आम लोगों के लिए होनी चाहिए।” लोकतांत्रिक समाज...

कुर्ग (Coorg) कॉफी कोडावा संस्कृति – परंपरा और आतिथ्य का संगम

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 अगर धरती पर कहीं शांति, सुगंध और सुकून साथ-साथ मिलते हैं, तो वह जगह है – कुर्ग (Coorg) । पश्चिमी घाट की गोद में बसा यह इलाका हर मौसम में एक अलग रंग ओढ़ लेता है। सुबह की ठंडी धुंध, कॉफी के बागानों की मीठी खुशबू और दूर पहाड़ियों से आती पंछियों की आवाज़ – जैसे कोई पुरानी कविता जीवित हो गई हो। कुर्ग को “ भारत का स्कॉटलैंड ” कहा जाता है, और यह तुलना बिल्कुल उचित लगती है। यहाँ की पहाड़ियाँ, झरने और हरियाली किसी कैनवास पर उकेरे हुए सपने जैसे लगते हैं। मदिकेरी की पहाड़ियों पर सूर्योदय देखना एक ऐसा अनुभव है जो मन में बस जाता है। जब बादल नीचे उतरते हैं और रास्ते गायब होने लगते हैं, तब लगता है जैसे हम किसी जादुई दुनिया में हैं। यहाँ की कॉफी एस्टेट्स सिर्फ खेती नहीं, बल्कि एक संस्कृति हैं। हर गली में कॉफी की ताज़ा खुशबू घुली रहती है। स्थानीय लोग इसे अपना गर्व मानते हैं और हर कप में अपनी आत्मा डाल देते हैं। कुर्ग के लोग, जिन्हें “ कोडावा ” कहा जाता है, अपने परंपरागत पहनावे और योद्धा स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उनका अतिथ्य भाव इतना सच्चा होता है कि आप खुद को परिवार का हिस्सा महसूस करने लगते...

भारत में कितनी भाषाएँ बोली जाती हैं? – भारत की भाषाई विविधता का अद्भुत संसार

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भारत एक बहुभाषी देश है जहाँ हर कुछ किलोमीटर पर भाषा और बोली बदल जाती है। यह भाषाई विविधता भारत की सबसे बड़ी सांस्कृतिक विशेषताओं में से एक है। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार, देश में लगभग 19,500 भाषाएँ या बोलियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 121 भाषाएँ ऐसी हैं जिन्हें 10,000 से अधिक लोग बोलते हैं। भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया गया है, जिनमें हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती, मलयालम, कन्नड़, उड़िया, पंजाबी, असमिया, कश्मीरी, संस्कृत, मैथिली, संथाली, कोकणी, मणिपुरी, बोडो, डोगरी, नेपाली और सिंधी शामिल हैं। भारत में हिंदी भाषा सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसे लगभग 44% भारतीय अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इसके अलावा अंग्रेजी एक सहायक आधिकारिक भाषा है, जो सरकारी कार्यों, शिक्षा और व्यापार में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। भारत की यह भाषाई विविधता केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और पहचान की आत्मा है। हर भाषा अपने साथ एक विशिष्ट इतिहास और लोककथा लेकर चलती है, जो भारत को “एकता में विविधता” का जीवंत उ...

सपनों की धरती या संघर्ष की ज़मीन? अमेरिका में एच-1 बी वीज़ा पर भारतीयों की बढ़ती परेशानियाँ

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अमेरिका लंबे समय से भारतीय आईटी और तकनीकी पेशेवरों के लिए अवसरों की धरती माना जाता रहा है। हर साल हजारों भारतीय युवा बेहतर करियर और जीवन के सपनों के साथ एच-1बी वीज़ा पर वहां जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन सपनों पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। एच-1बी वीज़ा की नीति में लगातार हो रहे बदलाव, आवेदन प्रक्रिया की जटिलता और ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा ने भारतीयों के जीवन को कठिन बना दिया है। खासकर उन परिवारों के लिए, जिनके बच्चे अमेरिका में पले-बढ़े हैं लेकिन कानूनी स्थिति अब भी अस्थायी है।

CHAAT रेस्टोरेंट हांगकांग: ऊँचाई पर भारतीय स्वाद का अनोखा सफ़र

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  हांगकांग की चमकती गगनचुंबी इमारतों के बीच, जब रात का आसमान शहर की रोशनी से जगमगाता है, तब उसी ऊँचाई पर Rosewood Hotel  की एक मंज़िल पर बसा है CHAAT एक ऐसा रेस्टोरेंट जो भारतीय भोजन को वैश्विक मंच पर नई पहचान दे रहा है। यह रेस्टोरेंट भारतीय स्वाद, परंपरा और आधुनिकता का ऐसा संगम है, जो न केवल भारत की याद दिलाता है बल्कि उसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाता है।                                                  चाट का इतिहास और प्रेरणा की कहानी CHAAT रेस्टोरेंट की शुरुआत उस विचार से हुई, जहाँ भारतीय स्ट्रीट फूड के स्वाद को पाँच सितारा माहौल में प्रस्तुत किया जा सके। “CHAAT” नाम अपने आप में भारतीय संस्कृति की उस जीवंत परंपरा का प्रतीक है, जिसमें मसालों की खुशबू, मिठास और खटास का संतुलन होता है। Rosewood Hotel ने इस नाम के साथ एक ऐसा अनुभव रचा, जिसमें हर डिश एक कहानी कहती है। इस रेस्टोरेंट के पीछे की प्रेरणा भारत के विभिन्न शहरों की गलियों से आई — दिल्ली की चाट, मुंबई...

भारत में इलायची कैसे बदल रही है किसानों की जिंदगी

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  भारत में मसालों का इतिहास सदियों पुराना है, और इनमें इलायची का नाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। छोटे से फलों में बसी यह खुशबू न केवल भारतीय व्यंजनों को महकाती है, बल्कि इसके औषधीय और आर्थिक महत्व ने इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बना दिया है। भारत में इलायची की प्रमुख खेती भारत में इलायची की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के पहाड़ी क्षेत्रों में होती है। इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी इस मसाले के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। केरल को अक्सर “इलायची की भूमि” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ का उत्पादन देश के कुल उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा देता है। खेती में छोटे बागान सबसे आम हैं, और अधिकांश किसान पारंपरिक तरीके से इलायची उगाते हैं। हाल के वर्षों में ऑर्गेनिक इलायची की मांग बढ़ने के कारण कई किसानों ने रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक से मुक्त खेती की ओर रुख किया है। भारत में इलायची का बाजार और निर्यात भारत केवल उत्पादन में ही नहीं, बल्कि निर्यात में भी अग्रणी है। यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका में भारतीय इलायची की मांग लगातार बढ़ रही है। बढ़ती मांग के साथ ही किसानों और व्यापारियों के ...

भारत के गुप्त कोने: काज़िरंगा की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता

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भारत के छिपे हुए पर्यटन खजाने: एक अनजानी यात्रा भारत, अपनी विविधता और रंग-बिरंगी संस्कृति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। लोग आम तौर पर ताजमहल, जयपुर, गोवा या शिमला जैसी प्रसिद्ध जगहों का दौरा करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कई ऐसी जगहें हैं, जो सौंदर्य, इतिहास और अनुभव के मामले में किसी प्रसिद्ध स्थल से कम नहीं हैं? ये वो स्थल हैं, जिन्हें जानने वाले बहुत कम हैं, लेकिन जो यात्रा करने वालों के दिलों में हमेशा के लिए बस जाते हैं। केरल और उत्तराखंड के अनजाने स्थल केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित मछलीश्वर गांव एक ऐसा ही अनुभव देता है। यहाँ की शांत झीलें, हरे-भरे खेत और स्थानीय जीवनशैली पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। नाव पर चलते हुए जब सूरज की पहली किरण पानी पर पड़ती है, तो ऐसा लगता है जैसे समय थम गया हो। स्थानीय मछली पकड़ने के तरीके और वहां के लोगों की सरलता, शहर की भागदौड़ से दूर एक तरह की सुकून

एक ऐसा आलिंगन जो लाखों लोगों के जीवन को बदल चुका है

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दुनिया में बहुत से लोग अपने जीवन में शांति, प्रेम और करुणा की तलाश में भटकते रहते हैं। कुछ को यह अनुभव किसी साधना में मिलता है, तो कुछ को किसी सच्चे संत के सान्निध्य में। लेकिन एक ऐसी साध्वी हैं जिन्हें लोग प्यार से “अम्मा” कहते हैं — माता अमृतानंदमयी देवी । अम्मा का विशेष उपहार है उनका “हग” , उनका “आलिंगन” — एक ऐसा आलिंगन जो लाखों लोगों के जीवन को बदल चुका है। अम्मा कौन हैं? केरल की एक साधारण मछुआरे परिवार में जन्मी अम्मा बचपन से ही करुणा और सेवा की प्रतिमूर्ति रहीं। उन्होंने कभी किसी को जाति, धर्म या भाषा से नहीं आँका — उनके लिए हर व्यक्ति प्रेम और ईश्वर की झलक था। समय के साथ अम्मा एक वैश्विक आध्यात्मिक प्रतीक बन गईं। दुनिया भर से लोग उनसे मिलने आते हैं, सिर्फ एक बार उस “दैवीय झप्पी” को पाने के लिए। अम्मा की झप्पी क्यों विशेष है? जब अम्मा किसी को गले लगाती हैं, तो वह आलिंगन केवल शरीरों का मिलन नहीं होता — वह आत्माओं का संवाद होता है। कहते हैं कि उस एक क्षण में व्यक्ति अपने सारे दुख, भय और अक...