भूटान का अनोखा स्वाद: हरी मिर्च से बनता है देश का मुख्य व्यंजन

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 थिम्फू। हिमालय की गोद में बसा शांत और खुशहाल देश भूटान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी जीवनशैली के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि यहाँ की रसोई भी उतनी ही अनोखी है। भूटान के घरों में सबसे ज़्यादा बनाया जाने वाला पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन हरी मिर्च से तैयार होता है। भूटान का राष्ट्रीय व्यंजन: हरी मिर्च से बना अनोखा ‘एमा दत्शी’ भूटान में हरी मिर्च सिर्फ़ एक मसाला नहीं, बल्कि भोजन का मुख्य आधार है। स्थानीय लोग इसे “एमा” कहते हैं और इससे बनता है उनका राष्ट्रीय व्यंजन ‘एमा दत्शी’ —जिसे भूटान का “चिली चीज़ स्ट्यू” भी कहा जाता है। इसमें बड़ी-बड़ी हरी मिर्च को सीधे पूरी तरह पकाया जाता है और स्थानीय चीज़, मक्खन और हल्के मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। स्वाद तीखा होता है, लेकिन भूटानी लोग इसे रोज़ाना बड़े शौक से खाते हैं। Read Also : चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है कई यात्रियों को यह जानकर हैरानी होती है कि भूटानी भोजन में मिर्च को सब्ज़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हरी मिर्च, लाल मिर्च, सूखी मिर्च—ह...

गरीबी से सफलता तक: 3 असली प्रेरक कहानियाँ

ज्योति कुमारी — लॉकडाउन में 1,200 किमी साइकिल से घर वापसी

ज्योति कुमारी  बिहार की रहने वाली छात्रा हैं। लॉकडाउन के दौरान, जब परिवहन पूरी तरह बंद हो गया था, उसने अपने घायल पिता के साथ साइकिल पर लगभग 1,200 किलोमीटर का सफर तय किया। उनका साहस और हिम्मत पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गई। इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि मुश्किल हालात में भी उम्मीद और धैर्य नहीं खोना चाहिए। Read Also : चंबल: वाइल्डलाइफ लवर्स के लिए मध्य प्रदेश का छिपा हुआ रत्न

दीपिका कुमारी  — गरीबी से ओलम्पिक तक

दीपिका कुमारी  झारखंड के छोटे गाँव की रहने वाली थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी और कभी-कभी खाने-पीने की भी दिक्कत होती थी। लकड़ी के बने धनुष-बाण से उन्होंने अभ्यास शुरू किया। अपनी मेहनत और लगन के कारण उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया। उनकी कहानी यह सिखाती है कि सीमित संसाधनों में भी अगर लक्ष्य और मेहनत सही दिशा में हो तो कोई भी ऊँचाई हासिल की जा सकती है।

सविताबेन  — कोयले बेचकर शुरू किया व्यवसाय

सविताबेन  एक दलित परिवार से आती थीं। उन्होंने शुरुआत कोयला बेचकर की और धीरे-धीरे टाइल्स का निर्माण शुरू किया। समय और मेहनत के साथ उनका व्यवसाय बढ़ा और आज उनकी फैक्ट्री करोड़ों का टर्नओवर करती है। उनकी कहानी यह दिखाती है कि धैर्य, दूरदर्शिता और मेहनत से साधारण शुरुआत भी असाधारण सफलता में बदल सकती है।

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